नई लिस्टिंग प्रणाली मामलों में फैसले के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रही: सुप्रीम कोर्ट बेंच


 नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई को लेकर एक नई व्यवस्था लागू की गई है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित द्वारा पेश किए गए मामलों की लिस्टिंग सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऐतराज जताया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस नए लिस्टिंग सिस्टम की आलोचना करते हुए एक न्यायिक आदेश में कहा कि नई लिस्टिंग प्रणाली ने जजों को मामलों में निर्णय लेने के लिए बहुत कम समय दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश ‘नागेश चौधरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य’ नामक मामले की सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए स्थगित करते हुए पारित किया. पीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया कि नई लिस्टिंग प्रणाली मौजूदा मामले की तरह सुनवाई के लिए तय किए गए मामलों में फैसला लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रही है, क्योंकि ‘दोपहर’ सत्र की अवधि में केसों का अंबार लग जाता है.

सीजेआई ललित द्वारा पेश की गई नई लिस्टिंग सिस्टम का मतलब 30 जजों के लिए दो अलग-अलग शिफ्ट हैं. सोमवार और शुक्रवार को वे नए दायर किए गए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग पीठों में सुनवाई करते हैं, जिनकी संख्या प्रतिदिन 60 से अधिक है. वहीं, मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ये जज सुबह के सत्र में (सुबह 10-30 बजे से दोपहर 1 बजे तक) तीन जजों की पीठ के रूप में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्नों से जुड़े पुराने मामलों की सुनवाई करते हैं. दोपहर में जजों की पीठों को 120 मिनट में 30 मामलों की सुनवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है. नए सिस्टम में औसतन एक मामले को निपटाने में चार मिनट का समय मिल रहा है.

हालांकि, सीजेआई ने मंगलवार से इन तीन दिनों में केस की संख्या को 30 से घटाकर 20 कर दिया है. यानी अब 120 मिनट में 20 केस सुनने होंगे. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने ऐतराज जताया है. वहीं, अन्य दो जजों की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने देर शाम तक काम करके मामले की फाइल पढ़ ली है और अधिवक्ता को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वे किसी और दिन इसे नए सिरे से पढ़ने के लिए फिर से समय देंगे.

बता दें कि 49वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने के बाद सीजेआई ललित ने मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने की बात कही थी, क्योंकि पूर्व सीजेआई एन वी रमना के सामने अधिवक्ताओं ने शिकायत की थी कि नई याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं हो रही हैं. बीते दिनों चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए सिस्टम को लेकर वकीलों से कहा था कि वे अपने मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष मेंशनिंग (उल्लेख) करें, न कि सीजेआई के अदालत कक्ष में. सीजेआई ने कहा था कि नई व्यवस्था के तहत मामले की मेंशनिंग के लिए, हम रजिस्ट्रार के सामने उल्लेख करने की मूल प्रथा पर वापस जाएंगे.

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