Kranti Teerth Series Ceremony: पटना, लेह और फिरोजाबाद में क्रांतितीर्थ समारोह का आयोजन

 


Patna, Leh, Firozabad, 06 अगस्त . स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम एवं अल्पज्ञात सेनानियों की वीरगाथा को आम जनता के सामने लाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से देश भर में आयोजित किए जा रहे क्रान्तितीर्थ समारोह की कड़ी में रविवार को बिहार की राजधानी पटना, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह और उत्तर प्रदेश स्थित बलिदानों की नगरी फिरोजाबाद में क्रांतितीर्थ समारोह का आयोजन किया गया ।

बिहार की राजधानी पटना स्थित चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय क्रांतितीर्थ कार्यक्रम के समापन समारोह का उद्घाटन पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने किया । अपने उद्बोधन में पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने बिहार के क्रांतिकारियों के योगदान को नमन करते हुए उनकी भूमिका के महत्व को सामने रखा। कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर ने अनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हुए उनकी भूमिका को देश की युवा शक्ति के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों द्वारा स्वाधीनता के संघर्षकाल के बारे में बताया। उन्होंने भारत के आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग से स्वाधीनता की लड़ाई में उनके योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि जहां-जहां क्रांतिकारियों ने जन्म लिया, आज उसे क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता है ।



कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान के निदेशक राणा सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख केंद्र बिहार की भूमिका के बारे में बताया, जबकि वरिष्ठ कलाकार एवं पद्मश्री श्याम शर्मा ने भारत की अस्मिता को बचाने के लिए अपना बलिदान देने वाले अनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने पर बल दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने संस्कारों पर बल देते हुए नैतिक मूल्यों की जरूरत पर ध्यान देने पर जोर दिया।  कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती, बिहार प्रदेश एवं इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया । बिहार में लगभग 40 दिनों तक चले इस 'क्रांतितीर्थ' कार्यक्रम में चित्रकला, गायन, भाषण, काव्य पाठ वर्ग में 34 जिलों के 471 विद्यालयों और 22 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने बिहार की प्रमुख पांच लोकभाषाओं में सहभागिता की। इस दौरान 30 जिलों में नुक्कड़ नाटक और 50 से अधिक स्वंतत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान किया गया। इस पूरे अभियान के दौरान प्रदेश भर में 400 से अधिक गोष्ठियों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार एवं गुमनाम वीरों के बारे में लोगों के बीच उनके परिचय को आगे बढ़ाया। 

पटना में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत समिति के अध्यक्ष व पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ चित्रकार श्याम शर्मा, आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध लोक गायक भरत शर्मा व्यास, इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज (कोलकाता) के निदेशक अरिंदम मुखर्जी, चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुमोद कुमार उपस्थित रहे।

रविवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह में आयोजित क्रांतितीर्थ समारोह का प्रारम्भ लेह इकाई के लद्दाख फानडे त्सोग्स्पा के अध्यक्ष नवांग लोटोस के स्वागत भाषण से हुआ । समारोह में लद्दाख फानडे त्सोग्स्पा की युवा शाखा द्वारा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए गए । समारोह के मुख्य अतिथि एडवोकेट ताशी ग्यालसन और सम्मानित अतिथि कर्नल (सेवानिवृत्त) सोनम वांगचुक ने वीर नारियों और सेना के दिग्गजों के सम्मान के लिए ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए लद्दाख फैनडे त्सोग्स्पा के प्रयास की सराहना की । समारोह में डॉ अमृता शिल्पी ने "क्रांतितीर्थ" कार्यक्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और पूरे भारत में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला पर प्रकाश डाला। समारोह के दौरान लद्दाख के लगभग 100 वीर नारियों और वीरता पुरस्कार विजेता सेना के पूर्व सैनिक उपस्थित थे, जिन्हें कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। जानकारी हो कि लद्दाख फांडे त्सोग्स्पा एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है जो पिछले तीस वर्षों से विभिन्न सामाजिक कल्याण गतिविधियों में समर्पित रूप से काम कर रहा है। सेवा (सामाजिक कल्याण), संस्कार (नैतिक मूल्य) और एकता (राष्ट्रीय एकता) लद्दाख फांडे त्सोग्स्पा का मुख्य उद्देश्य है।



उधर बलिदानों की नगरी फिरोजाबाद स्थित एफ. एम. वाटिका (राजा का ताल) में आयोजित कार्यक्रम में क्रांतिवीरों को नमन करते हुए उनका और उनके परिवार जनों का सम्मान किया गया। सम्मान के दौरान गुमनाम क्रांतिवीरों एवं उनके परिवार के सदस्यों पर पुष्प वर्षा की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं उत्तर प्रदेश सरकार के कारागार एवं होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि क्रांतितीर्थ कार्यक्रमों की एक शृंखला मात्र नहीं है, अपितु यह एक अभियान है उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का, जिन्होंने अनेक कष्ट सहे, अपना जीवन, अपना सर्वस्व देश की स्वतंत्रता के लिए, स्वराज की, स्वधर्म की भावना के लिए समर्पित कर दिया । फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम या अल्पज्ञात रह गए। उन्हें जिस तरह से स्मरण किया जाना चाहिए था, उस तरह से स्मरण नहीं किया गया । इस कार्यक्रम के  माध्यम से जनपद फिरोजाबाद के गुमनामी क्रांतिवीरों को  व उनके परिवार जनों को आज सम्मान करने का मौका मिला है। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डा. अंकिता कुमार ने कहा कि ‘क्रांतितीर्थ’ एक शृंखला है जो स्वतन्त्रता के लिए बलिदान हुए भूले-बिसरे महानायकों को याद करने तथा उनके योगदान को सबके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रही है। आज जब पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो यह अवसर हैं, उन सभी नायकों को स्मरण करने का जो इतने वर्षों में छूट गए, इतिहास के पन्नों में कहीं दब गए। क्रांतितीर्थ के माध्यम से हमें वो हर एक तीर्थ ढूंढना है जो स्वराज के लिए, स्वधर्म के लिए हर पल संघर्ष कर रहा था, इस देश की संस्कृति की रक्षा की लड़ाई लड़ रहा था, हमारी उपासना पद्धति पर, हमारी परम्पराओं पर, हमारी संस्कृति पर कोई आघात न हो इस बात की लड़ाई लड़ रहा था। हमें उस तीर्थ के पीछे की प्रेरणा को ढूंढना है, उस प्रेरणा के आधार पर लड़ने वाले व्यक्ति को ढूंढना है।



कार्यक्रम में आईवे इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा देशभक्ति पर प्रस्तुति  की गई। मंच पर प्रवीन अग्रवाल (सेवा सदन), डॉ रमा शंकर सिंह, शिवशंकर झा, हरिओम शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रवीन अग्रवाल द्वारा किया गया और प्रमुख रूप से देवी चरन अग्रवाल, अर्पित चित्रांश, उद्देश्य तिवारी, रविन्द्र बंसल, बृजेश यादव, अमित गुप्ता रक्तवीर, अनुग्रह गोपाल अग्रवाल, शंकर गुप्ता, राजीव बंसल, शिवकांत पलिया, उमेश गुप्ता, शैलेश अग्रवाल, मंयक सारस्वत, दयाशंकर गुप्ता, कृष्ण मुरारी, कपिल अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे ।

जानकारी हो कि अंग्रेजों की गुलामी से भारत को मुक्त कराने के लिए हजारों ऐसे वीर क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की भेंट चढ़ा दी, जिनकी वीर गाथाओं को इतिहास के पृष्ठों में स्थान नहीं मिला । स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे गुमनाम एवं अल्पज्ञात सेनानियों की वीरगाथा को क्रान्ति तीर्थ समारोह के माध्यम से आम जनता के सामने लाने का बीड़ा उठाया है-केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय और सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज (सीएआरडीसी) ने। इसमें संस्कार भारती अहम सहयोगी की भूमिका निभा रहा है । 'आजादी के अमृत महोत्सव' के अवसर पर क्रान्तितीर्थ श्रृंखला का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है ।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

विज्ञापन

विज्ञापन