दिल्ली के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर-स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्ति प्रक्रिया को नए उपराज्यपाल ने रोका- आतिशी



दिल्ली : आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि दिल्ली के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर-स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्व एलजी ने मंजूर की थी. चयनित लिस्ट को दिल्ली उच्च न्यायालय के 40 जजों ने अनुमति दी, लेकिन नए उपराज्यपाल ने यह कह कर रोक लगा दी है कि अब वह फैसला करेंगे. अगर सरकारी वकीलों को नियुक्त करने की प्रक्रिया को और लंबित किया जाता है तो इससे नुकसान दिल्ली की जनता को होगा. दिल्ली में होने वाले सभी अपराधों के खिलाफ जब मामला कोर्ट में जाता है तो उसे पब्लिक प्रॉसिक्यूटर लड़ता है. ऐसे में दिल्ली के जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय में जो आपराधिक मामले चल रहे हैं, उनमें रोक लगी हुई है. उन्होंने कहा कि जिस दिन से उप राज्यपाल ने शपथ ली, उसी दिन से उन्होंने दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त करने की कोशिश की है. उप राज्यपाल के पास केवल जमीन, पुलिस और लॉ एंड आर्डर है. बाकी सभी विभाग में उनको कैबिनेट की सलाह पर जाना पड़ेगा. एलजी ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था पर असर पड़ रहा है. दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था डगमगा रही है. उपराज्यपाल की जिम्मेदारी दिल्ली में पुलिस, महिलाओं की सुरक्षा, एमसीडी की व्यवस्था देखना है. उपराज्यपाल से हाथ जोड़कर निवेदन है कि कृपया आप अपने अधिकार क्षेत्र में रहें.


आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने आज पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया. विधायक आतिशी ने कहा कि 26 मई को शपथ ग्रहण कर दिल्ली के विनय कुमार सक्सैना नए लेफ्टिनेंट गवर्नर बने. जिस दिन से नए एलजी साहब ने शपथ ग्रहण की है उसी दिन से बार-बार दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है. शुरू में जब एलजी साहब ने कई कदम उठाए तो ऐसा लग रहा था कि शायद उन्हें दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था के बारे में पता है. लेकिन एक ही चीज लगातार होती है तो ऐसा लगने लग जाता है कि एलजी शायद जानबूझकर दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. 


उन्होंने कहा कि दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था बहुत स्पष्ट रूप से कहती है कि एलजी केंद्र सरकार के नुमाइंदे हैं. उनके पास सिर्फ और सिर्फ तीन क्षेत्रों में फैसला लेने की ताकत है. उनमें जमीन, लॉयन ऑर्डर और पुलिस शामिल है. बाकी सभी विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, कानून विभाग सहित अन्य पर उनको कैबिनेट की सलाह पर जाना पड़ेगा. लेकिन हम बार-बार देख रहे हैं कि एलजी ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था पर असर पड़ रहा है. दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था डगमगा रही है. चाहे शुरूआत में जल बोर्ड के अधिकारियों को बुलाना हो, दिल्ली सरकार के अनेकों विभागों के अफसरों को आदेश देना हो और अब फिर से अपॉइंटमेंट ऑफ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर स्टैंडिंग काउंसिल्स से संबंधित फाइल पर सवाल उठाए हैं. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, स्टैंडिंग काउंसिल और एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की प्रक्रिया 2021 से शुरू हुई. तत्कालीन एलजी को फाइल भेजी गई और उनका अप्रूवल लिया गया कि जो कमेटी पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, स्टैंडिंग काउंसिल और एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल का चयन करेगी उसको तब के एलजी साहब ने अप्रूव किया. उस कमेटी बनी उसमें कानून मंत्री, कानून विभाग के प्रमुख सचिव, कानून विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव और एडीशनल सेक्रेट्री होम शामिल थे. 24 जून 2021 को तत्कालीन एलजी ने इस इलेक्शन कमेटी को मंजूरी दी.


विधायक आतिशी ने कहा कि जब प्रक्रिया शुरू हुई तो 2 हजार से भी ज्यादा आवेदन इन पदों के लिए आए. जिन्होंने भी आवेदन किया उन सभी आवेदकों के इंटरव्यू लिए गए इस कमेटी के द्वारा. जब कमेटी ने फाइनल लिस्ट बनाई तो जो सीआरपीसी सेक्शन 24 सबसेक्शन 8 के तहत इस लिस्ट को उच्च न्यायालय के पास भेजा जाता है. ऐसे में जो फाइनल लिस्ट एलजी अप्रूव सिलेक्शन कंपनी ने बनाई  और उसको दिल्ली हाईकोर्ट के पास भेजा गया. फुल कोर्ट यानी 40 जजों ने तीन बार बैठ कर उस लिस्ट को स्क्रूटेनाइज किया. उन्होंने 3 सदस्यों की कमेटी भी बनाई उस लिस्ट को अच्छे से समझने के लिए. उन्होंने उसको 4 नामों के अलावा बाकी सारे नाम उच्च न्यायालय ने अप्रूव किए. दिल्ली सरकार के पास वह नाम वापस आए. लेकिन इसके बाद जब दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन इश्यू जारी करने से पहले जब एलजी को सूचित करने के लिए फाइल भेजी तो एलजी ने एक नया पिटारा खोल दिया है. एलजी कह रहे हैं कि मुझे सभी के बायोडाटा भेजो. मैं उन बायोडाटा को देखूंगा और मैं यह फैसला करूंगा की कौन एडिशनल स्टैंडिंग काउंसलर, स्टैंडिंग काउंसलर और पब्लिक प्रोसिक्यूडर हो सकता है.


उन्होंने कहा कि इनसे पिछले उपराज्यपाल ने जो प्रक्रिया अपनाई और उच्च न्यायालय के 40 जजों ने मुहर लगाई, आज उपराज्यपाल ने उस प्रक्रिया को रोक दिया है. उन्होंने कहा है कि जब तक मैं नहीं देखूंगा तब तक यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती है. ऐसा लगने लगा है कि नए उपराज्यपाल को दिल्ली की चुनी हुई सरकार से आपत्ति नहीं है बल्कि पुराने एलजी से भी झगड़ा था. क्योंकि जिन फाइलों को उन्होंने मंजूरी दी और जिस प्रक्रिया पर मुहर लगाई, आज उसी प्रक्रिया पर नए उपराज्यपाल सवाल उठा रहे हैं. एक तरह से कह रहे हैं कि यह सही नहीं है. 


विधायक आतिशी ने कहा कि अगर वकीलों को नियुक्त करने की प्रक्रिया को और लंबित किया जाता है तो इससे नुकसान दिल्ली की जनता को होगा. दिल्ली में होने वाले सभी अपराधों के खिलाफ जब मामला कोर्ट जाता है तो उस मामले को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर लड़ता है. सभी वकीलों को पता है की नई लिस्ट आने वाली है. ऐसे में जो वकील बदले जाने हैं, उन्होंने हाथ खड़े कर दिए हैं. क्योंकि नई लिस्ट में उनका नाम नहीं है. ऐसे में दिल्ली के जिला न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में जो आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन मामलों में रोक लगी हुई है. इसमें अपहरण, हत्या, बलात्कार, चोरी के मामले शामिल हैं. क्योंकि उपराज्यपाल ने तय किया है कि गैर संवैधानिक प्रक्रिया से वह इस प्रक्रिया को और लंबित करेंगे. इस तरह खुद इस प्रक्रिया को चलाएंगे.


उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल से निवेदन है कि दिल्ली एक स्पष्ट संवैधानिक प्रक्रिया से चलती है. इस संवैधानिक प्रक्रिया पर कई साल वाद-विवाद रहा. यह मामला उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में गया. सभी वाद विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने स्पष्ट फैसला दिया है कि दिल्ली की संवैधानिक प्रक्रिया कैसी चलेगी, उसमें एलजी और चुनी हुई सरकार का क्या अधिकार क्षेत्र है. अगर उपराज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र, चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करते हैं और निर्णय को पलटने की कोशिश करते हैं तो दिल्ली में पूरी संवैधानिक, प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा जाएगी. सीआरपीसी के तहत जिस निर्णय पर उच्च न्यायालय ने अपनी अनुमति दे दी है, उस निर्णय को पलटने की कोशिश करते हैं तो दिल्ली में आम आदमी के जीवन में सरकार को सुधार करने की जो प्रक्रिया होती है, वह भी चरमरा जाएगी.


आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता ने कहा कि उपराज्यपाल की जिम्मेदारी दिल्ली में पुलिस, महिलाओं की सुरक्षा, एमसीडी और साफ-सफाई की व्यवस्था देखना है. दिल्ली में साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस से जुड़ीं अनेकों बड़ी-बड़ी समस्याएं हैं. ऐसे में उपराज्यपाल से हाथ जोड़कर निवेदन है कि कृपया आप अपने अधिकार क्षेत्र में रहें. उस अधिकार क्षेत्र में दिल्ली के लोगों से जुड़ी हुई समस्याएं हैं, उन्हें सुलझाएं. दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश ना करें. दिल्ली की चुनी हुई सरकार के निर्णयों को पलटने की कोशिश ना करें, वरना नुकसान दिल्ली की जनता का होगा.


द भारत खबर

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